1200 किलोमीटर का सफ़र करके घर पहुँचने वाले युवक

महाराष्ट्र में काम करने वाले तमिलनाडु के तिरुवरुर और नागपट्टनम ज़िलों के सात नौजवान 1200 किलोमीटर का सफ़र करके अपने घर पहुँचे.


इन्होंने अपने सफ़र की शुरुआत 29 मार्च को की और 4 अप्रैल, शनिवार की दोपहर वो तमिलनाडु के त्रिची पहुँचे.


इस सफ़र के दौरान वे लंबे समय तक पैदल चले, लेकिन साथ ही आने-जाने वाले वाहनों से लिफ़्ट भी लिया.


इन नौजवानों में से एक राहुल द्रविड़ बीबीसी को बताते हैं, "मैंने केमिस्ट्री में बीएससी किया है. मैं महाराष्ट्र के उमरखेड ज़िले की एक निजी कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करता हूँ. 15 दिन पहले महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के संक्रमण का डर बहुत बढ़ गया तब मेरे इलाक़े की कंपनियों को बंद कर दिया गया और काम करने वालों का काम पर आने से मना कर दिया गया."


वो बताते हैं, "मैं 22 लोगों के साथ एक कमरे में रहता था. मेरे सामने वाले कमरे में 46 लोग रहते थे. इनमें 60 से ज़्यादा तमिलनाडु के ही हैं. महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासी मज़दूरों के लिए कैम्प लगाना शुरू किया था और हमें वहीं रुकने को कहा गया था. लेकिन चूंकि हमें स्थानीय भाषा नहीं आती इसलिए हम पुलिस और और दूसरे अधिकारियों से बात करने में असमर्थ थे. इसके अलावा स्थानीय लोग हमें लगातार वापस अपने घर जाने की धमकी दे रहे थे. इसलिए हम कैम्प में नहीं रह सकते थे."